Wednesday, January 23, 2013

"खुदा सबको खुश रखे"

ज़िंदगी चल रही है 
साथ में किस्से भी चल रहे है 
कुछ किस्सों को सोचकर हस्सी आती है 
कुछ किस्सों को देखकर दुःख होता है 
ना जाने कौनसी नादानी 
ना जाने कौनसी गलतिया
जीवन को ज़िंदगी बना देती है ।।
"खुदा सबको खुश रखे"
© Copyright  rajnishsongara

Thursday, January 17, 2013

मैं जीना चाहती हुं


हर  आँख  रो रही है
सिसक सिसक कर   कह रही है
इस बार मलहम न लगाना
इस बार हमे न दबाना
अब तलक सह ली है
दर्द की तपस्या
इस बार है इस घाव को
और गहरा कर दिखाना
इस बार दर्द की आवाज
मेरे घाव में गहराई  तक जायेगी
इस बार ये चोट
बहुत नंगी भुकी सहमी  सी फड फडायेगी
ज़िंदगी देदो
ज़िंदगी देदो
ज़िंदगी देदो
इस बार ये मलहम मेरे हिम्मत बना दो
इस बार ये दर्द मेरा स्वाभिमान बना दो
इस बार ये घाव मेरे ज़िंदगी बना दो
इस बार इस जिस्म की इज्ज़त बचा दो
मैं जीना चाहती हुं
मैं जीना चाहती हुं

कुछ लम्हे
कुछ पल
कुछ वक़्त
कुछ साँसे
कुछ प्यार
मैं जीना चाहती हुं
मैं जीना चाहती हुं
© Copyright  rajnishsongara