अब भला हम मुर्खो
को और क्यो मुर्ख बनाते हो
बता क्यो नही देते कि
मंदिर मे नही मस्जिद मे नही
कही और तशरीफ़ लाते हो
बता क्यो नही देते कि
मंदिर मे नही मस्जिद मे नही
कही और तशरीफ़ लाते हो
इबादत के नाम पर अब,
लोग तुम्हे भुनाने लगे है
पता नही , ना जाने क्यो
लोग तुम्हे मन्दिर और मस्जिद मे चुनवाने लगे है
है कोइ हुकुम या फ़रिश्ता आयेगा
वाह! क्या समय आगया है
अब खुदा को कहा रहना है
पता नही , ना जाने क्यो
लोग तुम्हे मन्दिर और मस्जिद मे चुनवाने लगे है
है कोइ हुकुम या फ़रिश्ता आयेगा
वाह! क्या समय आगया है
अब खुदा को कहा रहना है
ये भी इन्सान बतायेगा!!!
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