Friday, March 29, 2013

जुम्ले


जिसके गमों का हिस्सेदार में था
जिसके खुशी का पेहरेदार में था
आज वो बहुत खुशहाल हो गये
हम खामखा कंगाल हो गये

शगुफ़्ता लोग तो अक्सर
युहि बद्नाम हो जाते है
महोबत्त करते क्या है वो
कत्ले-ए-आम हो जाते है

बडी खुश नज़र आती हो
कुछ तो किया होगा उसने
रोश्नी के पेहरे में
खूब दर्द पिया होगा उसने

में थोडा दूर हो गया हुँ
शायद बेकसूर हो गया हुँ
तू साथ रहे ना रहे
ये ना सोचना बेखबर हो गया हुँ
© Copyright  rajnishsongara

Tuesday, March 12, 2013

प्यार मे


झूठे वादे
झूठी कसमे
सुना था सब जायज है 
प्यार मे
बहुतो से मुखतलिफ़ हो गया हुँ
इस इशक के बाज़ार मे

© Copyright  rajnishsongara

Sunday, March 10, 2013

माना लायक नहीं हूँ मैं

माना लायक नहीं हूँ मैं
कि कबूल कर लेती वो
चाहे जो भी हूँ
म॒कबूल कर लेती वो

तू ऐसे खुश
तो ऐसे ही सही
मगरूर हो गया हूँ
मज़बूर तो नहीं
© Copyright  rajnishsongara

Wednesday, March 6, 2013

वक्त कि फ़ितरत


वक्त का हुनर तो देखीये
खुद तो बदलता ही है
इन्सानियत मे मुक्क्मल होकर
इन्सान को भी बदल देता है

ना जाने क्यो वक्त कि फ़ितरत
इन्सानियत मे मुक्कमल हो जाती है
व॒त तो बदलता ही है
लोग भी बदल जाते है
© Copyright  rajnishsongara



Tuesday, March 5, 2013

आँसु


आग लगायी तब पता न था
कि जब राख धुँआ छोडेगी तो मेरे आँसु भी रोएगे
© Copyright  rajnishsongara

Monday, March 4, 2013

रात ख्वाब


कल रात जब ख्वाब कि सेर मे
चाँद पर पहुँचा तो देखा
चँद सिक्को ने कुछ  लोगो का सौदा किया
कही बिके और कही खरीदे गये
एक मेरी भी रुह थी जिसका  मोल हो रहा था
मैने सुना था किसी ने कहा होगा शायद
इसका तो दिल टुटा हुआ है
किसी ने पहले भी खरीदा होगा शायद!!!
© Copyright  rajnishsongara

Wednesday, January 23, 2013

"खुदा सबको खुश रखे"

ज़िंदगी चल रही है 
साथ में किस्से भी चल रहे है 
कुछ किस्सों को सोचकर हस्सी आती है 
कुछ किस्सों को देखकर दुःख होता है 
ना जाने कौनसी नादानी 
ना जाने कौनसी गलतिया
जीवन को ज़िंदगी बना देती है ।।
"खुदा सबको खुश रखे"
© Copyright  rajnishsongara

Thursday, January 17, 2013

मैं जीना चाहती हुं


हर  आँख  रो रही है
सिसक सिसक कर   कह रही है
इस बार मलहम न लगाना
इस बार हमे न दबाना
अब तलक सह ली है
दर्द की तपस्या
इस बार है इस घाव को
और गहरा कर दिखाना
इस बार दर्द की आवाज
मेरे घाव में गहराई  तक जायेगी
इस बार ये चोट
बहुत नंगी भुकी सहमी  सी फड फडायेगी
ज़िंदगी देदो
ज़िंदगी देदो
ज़िंदगी देदो
इस बार ये मलहम मेरे हिम्मत बना दो
इस बार ये दर्द मेरा स्वाभिमान बना दो
इस बार ये घाव मेरे ज़िंदगी बना दो
इस बार इस जिस्म की इज्ज़त बचा दो
मैं जीना चाहती हुं
मैं जीना चाहती हुं

कुछ लम्हे
कुछ पल
कुछ वक़्त
कुछ साँसे
कुछ प्यार
मैं जीना चाहती हुं
मैं जीना चाहती हुं
© Copyright  rajnishsongara