ये वही प्यास है जो मुझे लग रही थी,
वरना पानी तो मैं भी पीता हूँ |
इस दरिया मे डूब रहा हूँ,
बस तैरना चाहता हूँ निकलना नही |
मंजील नही है पास वरना शिकारे तो बहुत चलते है,
अकेले ही जाना है मन्ज़ील के करीब |
Tuesday, March 12, 2013
प्यार मे
झूठे वादे झूठी कसमे सुना था सब जायज है प्यार मे बहुतो से मुखतलिफ़ हो गया हुँ इस इशक के बाज़ार मे
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