Tuesday, August 8, 2017

खुलकर जियो


वैसे तो कौन बकरा बकरी को चिड़ियाघर में रखता है, खेर बहुत दिनों के बाद बकरा देख कर अच्छा लगा बचपन याद आ गया |  हमारे घर के पड़ोस में रहने वाली चाची के यहाँ हमेशा बकरा बकरी रहते है | मुझे याद है उनके यहाँ एक बकरा था जो बहुत ही खूंखार और शैतान था उसे हमेशा बांध कर रखा जाता था और जब भी वो अगर गलती से खुल जाता तो 1-2 को घायल करके ही छोड़ता था |  शायद ज्यादा बंधे रहने से वो और ज्यादा खतरनाक हो गया था या फिर वो हमेशा के लिए खुल जाना चाहता था |

अक्सर ज्यादा बंधी हुई चीज़ें या तो खुद के लिए खतरनाक हो जाती है या कुछ अच्छा नहीं कर पाती | हमारे आसपास भी कई चीज़े होती है जो बंधी रहती है या खुले होते हुए भी खुलकर नहीं रह पाती कई बार समाज बाँध देता है कभी परिस्थितियाँ तो कभी हमारे साथ रहने वाले लोग |

ज़िन्दगी आपकी है... समय आपका है | खुलकर जिये, कभी किसी चीज़ से ना बंधे और नाही किसी को बांधे |

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घर



आसमान को चिरती हवाई जहाँज की ये लखीरे रोज़ सुबह मुझे हिंदुस्तान ले जाती है । आसमान में बनती बिगड़ती ये सड़कें बिलकुल मेरे शहर की ओर जाने वाली टूटी फूटी सी सड़क जैसी है । हालाँकि शाम को लौटते वक़्त या तो ये ग़ायब हो जाती है या रास्ता बदल लेती है लेकिन रूकती नहीं, बिलकुल अपनी ज़िंदगी की तरह जो सिर्फ़ वक़्त के साथ रास्ते बदलती रहती है लेकिन रूकती नहीं है। 

ख़ुशी मुझे इस बात की है की वो वक़्त भी आ जाएगा जब आसमान पर बनी इन सड़कों से होते हुए में अपने हिंदुस्तान लौटूँगा। पर याद रहे इन आसमान की सड़कों की तरह रास्ता बदलते रहना लेकिन कभी रुकना नहीं । पता नहीं ज़िंदगी की कौनसी सड़क आपको मंज़िल तक पहुँचा दे।

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