जिसके गमों का हिस्सेदार में था
जिसके खुशी का पेहरेदार में था
आज वो बहुत खुशहाल हो गये
हम खामखा कंगाल हो गये
शगुफ़्ता लोग तो अक्सर
युहि बद्नाम हो जाते है
महोबत्त करते क्या है वो
कत्ले-ए-आम हो जाते है
बडी खुश नज़र आती हो
कुछ तो किया होगा उसने
रोश्नी के पेहरे में
खूब दर्द पिया होगा उसने
में थोडा दूर हो गया हुँ
शायद बेकसूर हो गया हुँ
तू साथ रहे ना रहे
ये ना सोचना बेखबर हो गया हुँ
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