Monday, April 23, 2018

ज़िन्दगी, एक किताब है



ज़िन्दगी, एक किताब है
हर दिन, एक पन्ना है
हर लाइन, बीतता हुआ घड़ी का एक एक घंटा है
हर शब्द, पल पल में घटती हुई ज़िन्दगी है

ज़िन्दगी, एक किताब है |

रोज़ खोलकर पढ़ लिया करो
कभी गलती से किसी लाइब्रेरी में चले गए तो
बहुत धूल चढ़जाएगी
और जो लगी हाथ किसी के
तो फिर या तो पढ़ लिए जाओगे
या पढ़ दिए जाओगे |

सबकी किस्मत उस किताब जैसी नहीं
जिसे पड़ने वाला 'ख़ुदा' संभाल कर रखे

और मुश्किल किताब को तब होती होगी जब
कोई उसमे फूल या ख़त रख देता होगा
हाँ बिलकुल उसी तरह जैसे कोई
हमारे ज़हन में कोई ख़ुद की ज़िन्दगी रख देता है

और हाँ तकियों की तरह
किताबों को भी बहुत कुछ पता होगा  5
लेकिन हम सिर्फ किताब को पढ़ते है
लिखने वाले को नहीं |

मैं लिखने वाले को पड़ना चाहता हूँ
मैं ख़ुदा को पड़ना चाहता हूँ,  ज़िन्दगी को नहीं |

© Copyright rajnishsongara
Photo Credits: © Tales By Aseem (https://www.facebook.com/aseemybphotography)

No comments:

Post a Comment