Tuesday, April 24, 2018

घर, हुक्का और मेरा डर

07/11/2017

वक्त रात के नौ बजकर फिफ्टी नाइन मिनट्स |

आज भी थोड़ी शर्म आती है मुझे, एक दम से ध्यान नहीं आता की फिफ्टी नाइन को हिंदी में क्या बोलते है |

मौसम बड़ा मस्त है, बहार बारिश हो रही है मैंने विंडो पूरी खोली हुई है, मस्त हवा आ रही है ठंडी ठंडी बड़ी मस्त लग रही है | आज पता नहीं क्यों लिखने का मन कर रहा है मतलब एक अलग ही मज़ा आ रहा है लिखने में |

वैसे मेरा अभी मेरे नए फ्लैट मेट्स के बारे में बताने का मन हो रहा है, मैं अभी जिस घर में रह रहा हूँ उसे छोड़ने की वजह घर में आये नए 2 फ्लैट मेट्स है, सबसे पहली बात तो घर में 1 वाशरूम और एक ही किचन है और 4 लोग, किचन का तो चलता है लेकिन वाशरूम की दिक्कत होगी ऐसा मुझे शुरू में लगा था लेकिन वो दिक्कत भी नहीं हुई | उससे बड़ी बात ये की मकान मालिक एक दम से 2 बन्दों को घर में ले आया बगैर बताये, ऊपर से दोनों लड़के सीरिया से है | सच बात तो ये है की मेरी सीरिया के नाम से बहुत फटती है  यहाँ तक की लास्ट टाइम लंदन से लौटते वक़्त मेरे मन में ऐसे ख़याल भी आ रहे थे की कही सीरिया और बाकि खतरनाक देशों के ऊपर से निकले तो कही ऊपर के ऊपर फ्लाइट गायब न हो जाए, लोल थोड़ा फनी है लेकिन सच है |

वैसे तो अभी तक ऐसी कोई दिक्कत नहीं हुई उन दोनों के साथ लेकिन फिर भी थोड़ा अजीब लगता है | सबसे पहले तो इन्हे इंग्लिश नहीं आती, जर्मन और अरेबिक आती है और मुझे जर्मन और अरेबिक नहीं आती तो बात करने में तो मुश्किल होती ही है और फिर हैरान तो मैं 4-5 तरीके के हुक्के देख कर रहे गया...हर फ्लेवर का अलग हुक्का और वो भी पूरे इंतज़ाम के साथ बिलकुल अरेबिक स्टाइल में | एक का नाम अब्दुल है और दुसरे का पता नहीं...जब बात अब्दुल से हुई तो भाई ने बताया वो हुक्के के बगैर रात में सो नहीं पाते और हाँ ये लोग हुक्के को शीशा बोलते है | बाकी और भी बड़ी अजीब अजीब सी चीजे पीते रहते है हालांकि अब्दुल भाई ने बताया जो ये ड्रिंक बनाकर पीते है उससे पेट साफ़ होता है और इस ड्रिंक का मसाला अर्जेंटीना का है बाकायदा मैंने पैकेट पर फ्रॉम अर्जेंटीना लिखा भी देखा |

वैसे तो मुझे नया घर लगभग मिल गया है जहाँ मुझे जल्द ही जाना है लेकिन फिर भी मुझे जो अजीब बात और डर लगता है वो ये की अब्दुल हर दुसरे दिन किसी नए बन्दे को घर में लाता है और हुक्का पिलाता है, कल ही एक लड़का लड़की का जोड़ा आया था हुक्का पीने | अब्दुल भाई ने फ्रूट वाली बास्केट उनके सामने रख दी बालकनी में और मस्त बड़ा वाला छाता धुप से बचने वाला खोल दिया, कोल्ड ड्रिंक्स सर्व की और हुक्का रेडी करने लगा | मुझे तो बड़ी हंसी आ रही थी, मैं मेरे इंडियन फ्लैट मेट (चौथा बंदा) से बोला प्रिंस भाई ये तो लग रहा है यही गोवा बनाएगा' मुझे खूब हसी आ रही थी, मैं और प्रिन्स किचन में खाना बना रहे थे |

एक तो ये खाना बनाना सबसे बड़ी मुसीबत बन गया है...डेली ऑफिस से आओ फिर जिम जाओ और फिर खाना बनाओ..हालाँकि आजकल प्रिंस भी मुझे देख देखकर खाना बनाना सिख गया है, मेरे जिम से लौटने से पहले खाना रेडी कर लेता है मुझे बड़ा अच्छा लगता है | शुरुआत में मैं बनाया करता था लेकिन अब प्रिंस बनाकर रख देता है तो जिम से आकर सुकून मिल जाता है थोड़ा |

नमकीन की सब्जी मेरी नानी ने बनाना सिखाया था |


रोज़ रोज़ या तो दाल चावल या कभी चिकन या कभी राजमा ....यही सब खा खा कर परेशान हो गया हूँ, रोटी तो होती नहीं है कभी मन करता है तो ब्रेड से सब्जी खा लेता हूँ | यहाँ कार्ल्सरूहे में कुछ इंडियन रेस्टोरेंट है लेकिन उनकी हालत भी इंडिया जैसी ही हो रही है ... इंडिया जैसी इसलिए बोल रहा हूँ क्योकि अभी इंडिया की हालत शायद सच में सही नहीं है आज ही अमरनाथ जाते हुए यात्रियों पर आतंकवादियों द्वारा हमला किया गया | खेर इंडियन रेस्टोरेंट, जहाँ जाकर सबसे बड़ा अचम्बा तो तब लगा जब उन्होंने बताया की आटे की रोटी नहीं है, मैदा वाली है ..उसी समय मेरे ज़बान पर तीन लब्ज़ आये 'क्या चुतियापा है' खेर ये शब्द ज़बान से मन में चले गए और एक और अच्छी बात जहाँ तक मुझे ध्यान है की रेस्टोरेंट वाले भाईसाहब कार्ड से पेमेंट स्वीकार नहीं करते कैश लेते है,  मैंने सोचा वहा मोदी जी इंडिया को कैशलेस बना रहे है और यहाँ जर्मनी जो काफी डेवलप्ड है यहाँ ये भाईसाहब कार्ड स्वीकार नहीं कर रहे है, पता नहीं क्या रीज़न था |

दिन शनिवार था तो मैंने बहुत कण्ट्रोल करके चिकन नहीं खाया... हाँ वो थोड़ा माँ से ज्यादा प्यार करता हूँ ना तो उन्होंने मना किया हुआ है या ये कहलो की बचपन से ऐसे ही है की मंगलवार और शनिवार नॉन वेज नहीं खाएंगे .. साथ में एक साथी था उसने नॉन वेज खाया बोल रहा था की बकवास है उसका उलटी जैसा मन हो रहा है, मेरे मन में आया अच्छा हुआ मैंने नॉन वेज नहीं खाया वार्ना पाप भी लगता और बेकार भी...लोल | वैसे वेज भी इतना ख़ास नहीं था मुझे लंदन वाली पंजाबी आंटी की याद आगयी थी वो भी 1-2 दिन पुरानी सब्जी खिला देती थी और यहाँ रेस्टोरेंट की सब्जी भी वैसी ही लग रही थी पूरा मन खराब हो गया था हालांकि करीबन 10 यूरो दिए थे तो मैं तो कोशिश कर रहा था की कुछ तो खा लिया जाए पैसा दिया है |

बहुत प्यास लग रही है किचन से पानी भर कर लाता हूँ...अब्दुल भाई डाइनिंग टेबल पर ही बैठे है शायद अपने घर वालो से लाइव चैट कर रहे है, हॉल में मस्त हुक्के की खुशबू आ रही है | मुझे ऐसा लगा हुक्के का ये फ्लेवर शायद मैंने भी कभी इस्तेमाल किया  है | हाल ही में जर्मनी आने से पहले मुझे हुक्का बहुत पसंद आने लगा था एक तो मेरे खास अली भाई हुक्के के बड़े शौकीन है और दूसरी बात हैदराबाद वाले फ्लैट में आया मेरा नया रूम मेट शुभम हुक्का बड़ा मस्त बनाता था |

अभी कुछ दिन पहले अब्दुल भाई और उनका साथी  जिम में मिले थे अच्छे से हाथ मिलाकर हाल चाल पूछा, दोनों खुश लग रहे थे |

ख़ुदा सबको खुश रखे |

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