Sunday, April 29, 2018

जर्मनी, लड़कियाँ और हिंदुस्तान जाने की इच्छा


7/10/17
वक़्त तीन बजकर छतीस मिनट ...

मैं ऑफिस में बैठा निर्मल वर्मा की दूसरी दुनिया पढ़कर कुछ ऑफिस का काम करना चाह रहा था लेकिन मेरा लिखने का मन हुआ तो लिखना शुरू कर दिया हालांकि मेरे पास कुछ ज्यादा काम नहीं है ...जो है वो कर दिया |

अभी प्रोजेक्ट की शुरुआत है तो ज्यादा काम नहीं होता और जो होता है वो मेरी पेंडिंग रखने की आदत नहीं है ...बचपन से ही ऐसा है मुझे काम कल पर छोड़ने  की आदत नहीं है, ये आदत शायद मुझे मेरी माँ से मिली है | इतनी सारी अच्छी आदतें है जो मुझे मम्मी और पापा से मिली है शायद उसी का नतीजा है आज मैं जहाँ हूँ और जैसा हूँ खुश हूँ |

आज एक बात और अच्छी ये हो गयी की जिस नए घर में मुझे शिफ्ट होना है उसके लैंडलॉर्ड का भी ईमेल आ गया और मैंने सारे ज़रूरी डॉक्यूमेंट उन्हें भेज दिए ताकि वो मेरे लिए घर का कॉन्ट्रैक्ट बना दे | जर्मनी में लैंग्वेज डिफरेंस होने के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और घर ढूढ़ना तो बहुत मुश्किल काम है, हालांकि ऊपर वाला मेरी हमेशा मदद करता है और मेरा काम हो जाता है | कभी कभी मुझे काफी अच्छे लोग भी मिल जाते है जो मुझे जानते नहीं लेकिन मेरी मदद करने को तैयार हो जाते है |ये सब देखकर लगता है शायद मैंने ज़रूर कुछ तो अच्छे कर्म किये होंगे जो भगवान् मेरी मदद के लिए किसी न किसी को भेज देता है |

मैं ऊपर वाले का हर दिन शुक्रा अदा करता हूँ की उसने मुझे जितना भी नवाज़ा उसके लिए हलाकि इतनी मेरी औकात नहीं या फिर ये कह सकता हूँ की कभी सोचा नहीं था लाइफ में इतना कुछ हो जाएगा | कभी कभी लगता है की ये सब लिखा हुआ है जो होना ही है वार्ना कहा सोचा था की इतने अलग अलग किस्म लोगों से मिलूंगा, इतनी अलग अलग तरीके की साइकल्स देखूँगा, इतने अलग और विचित्र दिखने वाले लोगों से भी मुलाक़ात होगी |

यहाँ जर्मनी में बिलकुल अलग माहौल है, बड़ा अच्छा लगता है देखकर, इतनी सुंदर लड़किया मैंने अपनी ज़िन्दगी में कभी नहीं देखी और हर लड़की आपको अपने बॉय फ्रेंड के साथ प्यार, किस करते हुए दिख जाएंगी, बहुत अच्छा लगता है देखकर की यहाँ प्यार कितना खुल्ला है | सही कहूं तो देखकर मेरा दिमाग खराब हो जाता है और मन कहता है मेरी गर्ल फ्रेंड क्यों नहीं है!!!  सच्ची कहूं तो बहुत ख़ुशनुमा पल लगता है जब उनको देखता हूँ तो, कितनी सचाई के साथ एक दुसरे को किस करते है बिलकुल सच्चा प्यार | यहाँ की ख़ास बात ये है की सब एक दूसरे की प्राइवेसी का सम्मान करते है | मैं अधिकतर ऐसे प्रेमी जोड़ों ऑब्सेर्वे करता रहता हूँ | लाइफ में ऐसी बहुत सी चीज़ें  है जो मैं ऑब्सेर्वे करता रहता हूँ लेकिन सामने वाले को महसूस नहीं होने देता |

खेर, अब मुझे सिर्फ नए घर में शिफ्ट होने का इंतज़ार है ताकि मैं फिर से जिम जा सकू और नए घर के पास में जो थिएटर है वह जाकर पूछ भी सकू अगर कोई थिएटर वर्कशॉप होती हो! अभी वैसे मेरा यहाँ कोई ख़ास दोस्त नहीं बना, मुझे अपने अंदर एक कमी नज़र आती है की मुझे हमेशा किसी का साथ चाहिए होता है यहाँ तक की खाने में भी अकेले खाने की आदत नहीं है | मुझे लगता है शायद बचपन से जॉइंट फॅमिली में रहने की वजह से मेरी अकेले रहने की आदत नहीं है और नए घर में कुल हम चार लोग रहेंगे तो मैं खुश भी हूँ की कोई तो मिलेगा बात करने को और 2 बातें नयी पता लगेगी | बस मुझे इंतज़ार है कोई ढंग का बंदा क्रिएटिव सा दोस्त बन जाए ताकी मैं साथ में घूमने चला जाऊ या फिर कुछ क्रिएटिव करना है तो वो भी कर सकू |

अंग्रेजी के कीबोर्ड में अंग्रेजी लिखने की आदत की वजह से बार बार पूर्ण विराम की जगह फुल स्टॉप लिख देता हूँ | मुझे कलम से लिखने की आदत नहीं है, कीबोर्ड पर मेरे विचार मेरी उंगलियों के साथ चलते है जिन्हे लिखने में मुझे बहुत आसानी होती है |  बिच बिच में इमेल्स भी चेक कर ले रहा हूँ ताकि काम कुछ छूटे ना |  अच्छा लग रहा है बहुत दिनों बाद कुछ लिख रहा हूँ |

सामने कॉफी मग और पानी का गिलास पड़ा है तो याद आया की जर्मनी की एक मस्त बात ये है की यहाँ पानी भी 4-5 तरीके का होता है | नार्मल वाटर, स्टिल वाटर, स्पार्कलिंग वाटर, कार्बोनेटेड वाटर और पता नहीं कौन कौन से, शुरू में मशीन से पानी लेते वक़्त में कार्बोनेटेड वाटर भी ले लेता था लेकिन ज्यादा पीना अच्छा नहीं है इसलिए अब नार्मल वाटर ले लेता हूँ ये कार्बोनेटेड वाटर बिलकुल दारू के साथ पिने वाले सोडा की तरह होता है |  यहाँ लोगो को कॉफी पीने की बहुत आदत है | वैसे तो मैं चाय भी नहीं पीता लेकिन आँखे खुली रखने के लिए आजकल कॉफ़ी पी लेता हूँ | दिन में खाना खाते ही नींद आती और रात में कितना भी खाना खालो लेकिन नींद नहीं आती शायद मुझे मेरा थिएटर बहुत याद आता है | बहुत मन करता है कुछ करू कुछ करू लेकिन कुछ समझ नहीं आ रहा, बस मैं तो जनवरी का इंतज़ार कर रहा हूँ ताकि कुछ बहाना बना कर यहाँ से निकल सकू | थोड़ा सा फाइनेंसियल सुप्पोर्ट मिल जाएगा और साथ में कुछ दूसरी यूरोपियन कन्ट्रीज भी देख लूंगा | और हां मेरा आसमान से गिरती हुई बर्फ देखने का बहुत मन है |



मुझे कभी कभी बहुत डर लगता है जब मैं बोलता हूँ की मेरा यहाँ रहने का बिलकुल मन नहीं है, ऐसे मौके भगवान् हर किसी को नहीं देता लेकिन क्या करू मुझे  बस लगता है की एक्टिंग करुँ थिएटर करुँ|



अब सोच में पड़ गया हूँ की आगे क्या लिखू, साथ में कण्ट्रोल C भी कर लेता हूँ ताकि एक दम से इतना लिखा सब कुछ डिलीट न हो जाए शायद यही डर मुझे ज़िन्दगी से भी लता है की इतनी मेहनत की है थिएटर में एक्टिंग में सब कुछ ख़त्म ना हो जाए इसलिए जितना जल्दी हो सके में हिंदुस्तान चले जाना चाहता हूँ |


© Copyright rajnishsongara

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